🏹😢 *शापित कर्ण*😢🏹 यज्ञकुंड की अग्नि सर्वदा जग में प्रणम्य रही है, ऊर्जा उसकी दमित हुई न चिर अदम्य रही है। नमन हमारा उसको जिसमें तेज,शौर्य और बल है विपदा,दुविधा और विषमता का कहलाता हल है। जाति,गोत्र,कुल,वंश बता मानार्जन वीर न करते, उनके करतब ही स्वमेव उनका हैं परिचय कहते। जनक,सूर्य जिसके,माता जिसकी थी कुन्ती कुमारी, लहरों में रक्षित थे उसके प्राण पुनीत अविकारी। संतान-सुख से वंचित राधा ने शिशु को ममता का क्षीर दिया अधीरथ-दुलार ने भारत को कर्ण सरीखा वीर दिया। सूतवंश में पला बाल रवि राधेय नाम को ग्रहण किया, रही घृणा शोणित में उस हित जिसने सूरज को ग्रहण दिया। रणधीर कहाने की इच्छा में, परशु-शिविर वो जा पहुँचा, छद्म विप्र बन ज्ञानार्जन में किंचित कर्ण-हृदय सकुचा।जब-जब अद्भुत शर-संधान से गुरू को उसने था चकित किया गुरु ने भी ब्रह्मकुमार समझ, घट-घट आशीष उडे़ल दिया। पर सत्य अरुण के जैसा ही