कृतं मे दषिणे हस्ते जयो*
*कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो*
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हो रहा यम भी अचंभित देखकर,
छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया
भूख की ज्वाला शमन होती नहीं,
कितनी ही निर्दोष जानें खा गया।
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*छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया!*
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लेख विधि का है मिटाता जा रहा,
मुख वो सुरसा सा बढा़ता जा रहा,
हम पराजित जीवन-मंथन में हुए
और''कोरोना"अमृत-घट पा गया।
*छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया*
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चक्रव्यूह उसने विकट ऐसा रचा,
जो निकट आया प्राण नहीं बचा,
आस का सूरज भी दिखता है नहीं
संकटों का मेघ क्षिति पर छा गया
*छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया*
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किंतु है पुरुषार्थ मनु का भी प्रचंड
विपदा का पर्वत किया है खंडखंड जिजिविषा उसकी अनंत असीमहै
महाप्रलय सेवो निकलकर आगया
*छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया*
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आज मानव के हृदय यह दुःख है,
प्रभु-कृपा से धरा क्यों विमुख है?
तुम क्षमा का पाठ यदि भूले प्रभु,
हमको भी जीवन बचाना आ गया
*छद्म यम ये कौन धरा पर आ गया*
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"तारक नाथ चौधुरी"
(से.नि.व्याख्याता)
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