जब तुम उदास होती हो*
जब तुम उदास होती हो* ++++ जब तुम उदास होती हो-- भला नहीं लगता मुझे पूरब का सूरज चिडि़यों का कलरव,धूप का स्वरुप भाता नहीं मुझे भोर का कोई रुप। जब तुम उदास होती हो-- भली नहीं लगती मुझे शिवालय की घंटियाँ भैरव की तान,रंभाती गाय भाती नहीं मुझे कुल्हड़ की चाय। जब तुम उदास होती हो-- भला नहीं लगता मुझे बिलखते शिशु का शोर, मेरी गोद में चढ़ना,लुका-छुपी खेलना भाता नहीं मुझे मुंडेर पर गौरये का आना। +*+*+*+*+ (तारक नाथ चौधुरी) से.नि.शिक्षक बी.एम.वाय.चरोदा.